Sep 4, 2023

नूतन प्रभास Light of life

 


प्रखर प्रहारों को झेलकर जो
तपकर कंचन बन जाते, अभावों में भी,
नमन करता संसार उन्हें
परिष्कृत रहते, जो भावों में भी ...।

इंद्रधनुषी रंगो का अनुभव कर
कमी तुझे किस चीज की
साधती प्रकृति धरती-आकाश को
कर रचना, नए क्षितिज की....

अनिहित में निहित खोज लेते
अवरुद्ध कंठ से भी गा लेते
सतत व्यतिक्रमों से लड़कर भी
यायावर, वो, प्रभास को पा लेते ...।

किसी मेघ की आतुरता में
बरखा बरसते देख, मोर भी चहका
उलझन थी कि, ये मेघ बहका,
मोर बहका, या फिर बरखा...।

मित्रों में देव दिखते जिन्हे
आनंद की नूतन परिभाषा गढ़ते वो
हर क्षण जीवंत उनका
क्या क्या कर लेते वो .........।

रिश्तों में सादगी साध मेरे दोस्त
जटिलता खुशियों की शोषक है
इसकी तनिक भी जरूरत नहीं
वो तो अहंकार की पौषक है ...।

नित्य प्रसन्नता को अपनाकर
मौलिक बन, कुछ शोध कर
सिद्ध कर सहजता को, ओ मनुज
प्रेरक बन, और बोध कर ....।

उत्कृष्ठ लेखनी में प्रस्तुत होकर
जब मौन मुखर हो जाता
वर लेता वो शाश्वत को, और
सुंदर कृत्यों में, सत्य अमर हो जाता...।
सत्य अमर हो जाता ..........।🙏

रचना - अशोक मादरेचा



This Hindi poem is written for those who seek to revisit inner life and get constant inspiration. it covers nature, challenges, relationships, originality, friendship, and many other aspects of life. one can feel well about life if read with right perspective.



1 comment:

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