हर रंग की चमक में बसते हो
कोई से भी गम में हँसते हो।
ये दिलेरी हे या अदाकारी
प्रेरित हो या , खुद की समझदारी।
बख़ूबी सब कुछ छुपाते हो
बस सिर्फ मुस्कराते हो।
मासूम चेहरा, इरादों से बुलंद हो
बोलते कम , बड़े स्वछंद हो।
हर पल ख्याल तेरा ही क्यों आता हे
क्या नाम दू इसे , जाने कौनसा नाता हे।
गीतों के गुंजन से भरा तेरे लबो का अहसास
समझ भी लेते मन की बात , तुम काश।
अब दूर नहीं रहना हे
मुझे कुछ कहना हे।
ये पैगाम पढ़कर रुक मत जाना
देर हुई पहले ही , अब मत सताना।
ये हे प्यार का फ़साना , अब क्या जताना
मेरे मीत जल्दी आना , बस जल्दी आना।
------------ Ashok Madrecha