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11 फ़र॰ 2018

दोस्त को पुकार (calling the friend)




सपनों का पीछा करता मनुज
गंतव्य को भूल बैठा

जब मंजिलें ना मिली
तो जहां रुका उसे ही मंजिल मान बैठा

जब कुछ खास हासिल ना हुआ तो
कुछ अखबारों की सुर्खियों में आकर
जीवन को धन्य मान बैठा...।

खैर जो हुआ सो हुआ
पर इसको आदत सी बना ली

अब तो नित्य ही कृत्रिम जिंदगी जी रहा
घूंट जहर के चुपचाप पी रहा

वो बतियाने को दोस्त भी ना साथ रहे
कुछ कहे तो भला किसको कहे....।

इतना आगे आ गए
कितने पीछे छूट गए

नदियों में पानी बहुत बहा
किनारों ने कितना सहा

चले थे कहां , मुकाम कुछ और मिले
भूलकर सब शिकवे और गिले
आ मेरे दोस्त हम फिर मिले
आ मेरे दोस्त हम फिर मिले....।

26 अप्रैल 2015

आशा (Hopes)



समर्पण  के सेतु से परमात्म तक की यात्रा
आत्मा के हेतु से बंधे हुए हर असहज को
सहज कर देने की ऊर्जा और दिशाओं को
सीमित कर दे ऐसी कृपा की मात्रा। 
हर पल के अस्तित्व को नव आयाम देती हुई
स्वयं को पहचानने की लालसा का अनुभव
होना तो शुरुआत है पर यही मंजिलो तक का
सफर करा देती है विश्राम भी देती हुई।
इरादों का बुलंद होना, और सतत परिश्रम का पालन
कुछ दूर नहीं होता फिर, मनुष्य के लिए
क्या करना है, क्यों करना है, कब करना है
इस उलझन से निकले तो, सफलता करेगी गुंजन।
पुरुषार्थ और आडम्बर का फर्क स्पष्ट रहे हरदम
व्यर्थ में जाया ना करे समय और साधनों को
प्रमाद से दूर रहकर, आनंद के भावों में विचरे बस
इतनी सी बातें है, फिर क्यों कष्ट सहे हम।

-- अशोक मादरेचा

प्रयास (Efforts)

जब सब कुछ रुका हुआ हो तुम पहल करना निसंकोच, प्रयास करके खुद को सफल करना। ये मोड़ जिंदगी में तुम्हें स्थापित करेंगे और, संभव है कि तुम देव तु...