फिर सामने है, निर्दयता से,
क्या बड़े,
क्या छोटे
बचा नही कोई देश
हर तरफ है हाहाकार ।
चुनौती भरे वक्त में
लगा है इंसान बेबस होकर
जीवन बचाने को
सब कुछ करने को तैयार।
अब दूरियां जरूरी हो गई
और नजदीकियां नाजायज
हर सांस पर पहरे लगे,और
ठहर सा गया, हर व्यापार।
अठखेलियों के दिनों में
बचपन, मुखोटों के अधीन
चुभते है,
उनकी आंखों के प्रश्न
छिन गए,
मासूम बच्चों के अधिकार।
ये दौर भी जीतेंगे,
बेहतरी से,
प्रयत्न जारी है, बड़ी तैयारी है
उम्मीद रखे,
है निशाने पे विषाणु
पार्थ का धनुष करता है टंकार।
Indian author Ashok Madrecha's blog on Hindi kavita poems, inspiration, positive quotes on happy life, money management, truth, thought, live better life, stay motivated, spiritual thoughts quotes on life.
Showing posts with label Hindi Poem. Show all posts
Showing posts with label Hindi Poem. Show all posts
Apr 28, 2021
ये दौर भी जीतेंगे (Will Win This Time Too)
जीवन की क्षणभंगुरता
Mar 21, 2021
बदलता विश्व, बदलते समीकरण (Changing World, Changing Equations)
उद्वेलित विश्व में फिर शीत युद्ध की आहट
बदलते शक्ति संतुलन, और नई चौधराहट।
मुट्ठी भर लोगों में बट गया संसार
बाकी सब आगे पीछे करते तकरार।
रोज दोस्त बदलते है आजकल
सब कुटिल राजनीति के फल।
महत्वाकांक्षाएं नए आकार में
सिकुड़ती न्याय व्यवस्था प्रतिकार में।
नेतृत्व विश्व में या तो मजबूर है
या फिर सत्य से ही दूर है।
व्यक्ति पालता आशाएं
कानून बदलता परिभाषाएं।
संगठन स्वयं शोषण का जरिया हो गए
झरने शेखी बघारते खुद ही दरिया हो गए।
भूमिकाएं भागती है जिम्मेदारी से
छूटती उम्मीदें अब वफादारी से।
कुछ बारूद बढ़ा कर आंख दिखाते
देशों के समूह द्वेष बढ़ाते।
निरीह मानवता पूरी मौन है
अब आवाज उठाने वाला भी कौन है।
#WorldPoetryDay2021 #UNO
- Ashok Madrecha
Labels:
Hindi Poem,
Hindi poem on world,
हिंदी कविता
Apr 30, 2020
Hindi Comedy Poem इतिहास परीक्षा - हास्य कविता
Jan 13, 2020
जरूरत (NEED) 💢💢
Hindi poem on Need
समय सहेजना दोस्तों
ये बहुत कीमती है।
क्या करना कब करना
क्या नहीं करना
निर्णय जरूरी है।
ये बहुत कीमती है।
क्या करना कब करना
क्या नहीं करना
निर्णय जरूरी है।
हर मोड़ पे द्वंद होंगे
कोशिशें बहुत होगी
तुम्हे रोकने की
पर चलना जरूरी है।
जिंदगी की ऊंच नीच में
रास्ते सीधे नहीं होते
लगती रहेगी ठोकरें
पर संभलना जरूरी है।
कभी हादसों से गुजरते हुए
अगर तुम गिर पडों
चोट भी लगे तो याद रहे
उठना जरूरी है।
कोई अपना दिल दुखाएं
या बहुत सताए
क्षमा कर देना
ये सब भूलना जरूरी है।
बिल्कुल अकेलापन अच्छा नहीं
कोई पूरा सच्चा नहीं
कम ही सही पर
दोस्तों से मिलना जरूरी है।
कुछ महक देते
कुछ सिर्फ सुंदर होते
ये बाग बगीचे बने रहे
तो फूलों का खिलना जरूरी है।
कितना भी कुछ बन जाओ
अहंकार से दूर रहना
खुश रहने के लिए ध्यान रहे
सबसे पहले सरलता जरूरी है।
... अशोक मादरेचा
Aug 10, 2019
Beauty (सुंदरता)
अनंत की व्यापकता
अंतर के निर्मल भाव
निशब्द सा आकाश
सूर्य का प्रकाश
धरती का धैर्य
अनुपम सौंदर्य
कुसुम की महक
अगाध ऐश्वर्य
और प्रेम का मिलन
इतना सब कुछ
फिर भी निरवता
और समाधि में स्थित प्रज्ञ
कोई देवी हो या मायावी
प्रश्न हो या उत्तर
बिन लहरों का सागर
सतरंगी इंद्रधनुषी छवि
मस्ती या मादकता
संगीत की मधुरता
अपरिमित ऊष्मा
शायद कोई करिश्मा
प्रणय के बोध से कहीं दूर
इतना स्वस्थ और खुश
अपूर्व ओजस से युक्त
पर अप्सरा भी तो नहीं हो
इरादा क्या है जो
वक्त को थामे हुए
मन्द मन्द मुस्करा
रही हो
जो भी हो तुम सही हो, सही
हो।
Nov 28, 2018
महसूस जो किया मैंने (Feelings)
इन मुस्कानों के पीछे का अकेलापन
कोई और समझे ना समझे पर
मुझसे छुपा नहीं पाओगे
ये अनजाना सा अपनापन।
मानो बरसो से बारिशों के इन्तजार में
दूर खड़ा हुआ कोई दरखत
परिंदों को छाव देता है
जो दर्द बयां नहीं करता
बस चुपचाप सहता है।
यादों के कड़वे अनुभव साथ लेकर
कुछ उलझन सी है जीवन में
हरियाली है पर रास्ता खोज रहे हो
मुद्दतों से उस घने वन में।
अपने सुंदर भावों से
कुछ नया करने कि कसक लिए
निकल पड़े हो
चले बहुत पर,
दिशाओं का कुछ भ्रम सा है
शायद आज भी वही खड़े हो।
कोई तो होगा समझने वाला
इस दुनिया कि भीड़ में
जो उत्तर सा होगा आपके प्रश्नों का
हम सब पंछी है जो
रहते अपने अपने ही नीड़ में।
संवाद करने की कला
और उत्साह से भरी आपकी आंखे
बहुत कुछ कहती है
ये सब अनायास नही होता
जो होनी है वो होकर रहती है।
कोई और समझे ना समझे पर
मुझसे छुपा नहीं पाओगे
ये अनजाना सा अपनापन।
मानो बरसो से बारिशों के इन्तजार में
दूर खड़ा हुआ कोई दरखत
परिंदों को छाव देता है
जो दर्द बयां नहीं करता
बस चुपचाप सहता है।
यादों के कड़वे अनुभव साथ लेकर
कुछ उलझन सी है जीवन में
हरियाली है पर रास्ता खोज रहे हो
मुद्दतों से उस घने वन में।
अपने सुंदर भावों से
कुछ नया करने कि कसक लिए
निकल पड़े हो
चले बहुत पर,
दिशाओं का कुछ भ्रम सा है
शायद आज भी वही खड़े हो।
कोई तो होगा समझने वाला
इस दुनिया कि भीड़ में
जो उत्तर सा होगा आपके प्रश्नों का
हम सब पंछी है जो
रहते अपने अपने ही नीड़ में।
संवाद करने की कला
और उत्साह से भरी आपकी आंखे
बहुत कुछ कहती है
ये सब अनायास नही होता
जो होनी है वो होकर रहती है।
.. अशोक मादरेचा
Oct 7, 2018
आशा (Hope)
आशा जीवन है, और
निराशा मृत्यु
पल प्रति पल इन दोनों के बीच
हम झूलते निरंतर क्यूं
कभी आशा का पलड़ा भारी
कभी निराशा होती भारी।
रोज नई चुनौतियों से मुकाबला
शायद कुदरत की व्यवस्था है ताकि
मनुष्य की जीवन यात्रा नीरस ना हो।
हर रोज कुछ ना कुछ नया होता है
अनहोनी होने से ज्यादा तो उसका डर होता है।
प्रश्न है कि हम कितना सचमुच जीते है
जीना और समय व्यतीत करना
इन दोनों के फर्क को समझना
है तो बहुत जरूरी
पर कथित व्यस्तता सबके जीवन की
स्वीकृत त्रासदी बन चुकी है
और ये त्रासदी अब तो आदत बन चुकी है।
बिगड़ा नहीं कुछ भी
उम्मीद से हर काम बनता है
आओ जीवन मूल्यों को गतिमान करे
अंतर से प्रेम का आवाहन करे
सर्व हित में कुछ तो सृजन करे
अहंकार का विसर्जन करे
समझो कि बहुत प्रबल ये मन है
आशा तो अमर धन है
आशा तो अमर धन है।
Hopes and despair are part of life. The above Hindi poem states that we must take things in proper perspective and remain positive in life. You may also like my other poem on Journey
Hopes and despair are part of life. The above Hindi poem states that we must take things in proper perspective and remain positive in life. You may also like my other poem on Journey
......... अशोक मादरेचा
Subscribe to:
Posts (Atom)
प्रयास (Efforts)
जब सब कुछ रुका हुआ हो तुम पहल करना निसंकोच, प्रयास करके खुद को सफल करना। ये मोड़ जिंदगी में तुम्हें स्थापित करेंगे और, संभव है कि तुम देव तु...
-
हास्य कविता - See the Video https://www.youtube.com/watch?v=TiYJqeVbRuo
-
Human being is always in mode of expecting something and this compels one to know everything about gratitude and its importance in ach...
-
जिंदगी का अर्थ खोजने मै राहों का पथिक बनकर चल पड़ा उलझन है अब तक क्यों रहा खड़ा। उजागर हो रहे नित्य नए अनुभव कहीं नदियाँ, कहीं झरनो...