This is a Hindi poem on introspection, life and self-knowing.
बस कल्पनाओं में
जान लेते और मान लेते
किसी को समझने के पहले ही
क्यों रिश्ते तोड़ने की ठान लेते।
छोटी सी जिंदगी में
इतना अहंकार पाल कर
जाने कौनसी मंजिल की तलाश में
जीना तो पड़ेगा संभाल कर।
हर जगह तुलना करके
हासिल भी क्या होता है
मुस्करा के जिए जिंदगी वो धन्य
वर्ना यहां, हर कोई रोता है।
सहज रहने को प्राकृतिक हम
छोड़ो प्रपंच सभी
थोड़ी गणना तो कर लो
बाकी बची ही कितनी,उम्र अभी।
अशोक मादरेचा