आप सभी ने कहीं न कहीं यह जरूर देखा होगा, सुना होगा या महसुस किया होगा कि इस संसार में कई परिवार या व्यक्ति ऐसे है जिनके पास संपत्ति है और आमदनी की अच्छी व्यवस्था है फिर भी ख़ुशी नहीं। यह सचमुच एक बड़ी विडम्बना है परंतु सत्य है।
कुछ उदाहरण पर चर्चा करते है :
एक व्यक्ति के पास पैसा बहुत है परन्तु उसे शिकायत है कि लोग उसे सम्मान नहीं देते।
एक महाशय अपने सभी रिश्तदारों से नाराज चल रहे है।
एक परिवार पैसे के साथ सामाजिक और राजनैतिक रूप से काफी प्रभावशाली है फिर भी वहाँ खुशियां दिखाई नहीं देती।
एक परिवार में बच्चे सबका अनादर करते है।
कहीँ पर स्त्रियों पर अत्याचार की स्थिती है।
किसी जगह पे रोगों ने अपना अड्डा जमा लिया है।
आखिर क्या कारण है कि इतना सब होते हुए भी जीवन में रिक्तता का निर्माण हो जाता है। मनुष्य इतना अकेला हो जाता है। इन सब विडंबनाओं के पीछे कुछ खास कारण है, आओ हम इस पर गौर करे।
कारण :
1. सिर्फ खुद के बारे में सोचना या करना।
2. रिश्तों के बजाय सामग्री में सुख खोजना।
3. अनचाही व्यस्तता ।
4. दोहरे मापदंडो वाली जिंदगी जीना।
5. सिर्फ इकठ्ठा करने की प्रवृत्ति ।
6. अव्यवहारिक अपेक्षाओं में जीना।
7. अपने अहम् का पोषण करने की प्रवृत्ति।
8. भ्रम या सबको खुश करने की आदत।
9. दूसरों का श्रेय खुद लेने की आदत।
10. भविष्य को हमेशा अच्छा मानकर चलना।
11. रचनात्मक बातों के बजाय सिर्फ वाद विवाद करना।
12. मानवीय मूल्यों का अनादर करना।
13. समय के साथ परिवर्तन को नहीं अपनाना।
14. खान-पान की मर्यादाओं का सतत उलंघन।
15. परिवार या रिश्तेदारों में मेल-मुलाकातों का अभाव।
उपरोक्त सभी बाते कई लोगों का व्यवहारिक अध्ययन करने के उपरान्त लिखी गयी है। यहां पर ऐसे भी लोग उपलब्ध है जिन्होंने सम्पूर्ण जीवन में किसी की एक बार भी मदद करने का आनंद नहीं लिया। हर व्यक्ति अपने आप में दूसरे से भिन्न होता है फिर भी यदि इन बातो को हम थोडा भी जीवन में उतार सके तो काफी परेशानियों से बच सकते है और जीवन को खुशहाल बना सकते है।
..अशोक मादरेचा