4 जुल॰ 2016

टूटे पत्ते का दर्द (Pain of Broken Leaf)










वो कल कोपलों के बीच सबका प्यारा था
हरित चमक लिए, अनूठा वो सबसे न्यारा था।
ओस की बुँदे भी आकर उसपे ठहरती थी
हर चिड़िया उसका स्पर्श पाने को रूकती थी।
वो हरा भरा, उस पेड़ की डाल का गौरव था
उसकी दुनियाँ आबाद थी, सारा वैभव था।


समय की यात्रा में
वो रंग खोने लगा
हरा था , बाद में पीला पीला होने लगा।
एक दिन वो सूख गया और रोने लगा
जगा हुआ उसका संसार सोने लगा।
किसी ने नहीं सुनी उसकी, हवा का झोंका आया
छिटक गया वो डाल से, बोलो कुछ समझ में आया।
हर कोई दोहराता ये, बस वक़्त अलग होता है
फिर भी इंसान में गरूर कितना होता है।
आपाधापी में जिंदगी खूब मचलती, तड़पती
चेहरों पे नकाब डालने से उम्र नहीं बदलती।
कुछ अच्छा कर लेने की ठान लो
मनाओ मन को या खुद ही मान लो।

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