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5 अक्टू॰ 2016

समय की पुकार



अब सारे नियम बदल दो
ओ नेतृत्व, ससमय दखल दो।

तीर प्रत्यंचा पे चढ़ा है इस बार
धनुष कर रहा जोरो की टंकार।

वक़्त का तकाजा है
केंद्र में सामर्थ्यवान राजा है। 

सिद्ध करो पुरुषार्थ को
याद करो पार्थ को। 

करते जो विष वमन
जानले वो ऐ वतन। 

धरा के उपकारों का कर्ज
बहुत बढ़ रहा ये मर्ज। 

कुछ तो बड़ा फैसला हो
आर पार का हौसला हो। 

जयचंदो को रोंदने का समय
देश करता है अनुनय। 

सत्य को सम्बल दो
निर्बल को बल दो। 

फड़कती भुजाएँ वीर जवानों की
याद आती है फिर से बलिदानों की। 

हर चुनोती में विजय का वरण हो
गौरवशाली राष्ट्र निर्माण का
सुन्दर सा वातावरण हो
सुन्दर सा वातावरण हो।

सुविचार अपने अतीत में जाकर अस्तित्व खोजना सिर्फ दुख को ही आमंत्रित करेगा।  स्वयं के बजाय दूसरों में, एकांत के बजाय भीड़ में, खुद के अनुभव के...