आकाश और जमीन मिलते नहीं फिर भी क्षितिज के अस्तित्व को माना जाता है। दिल की अतुल गहराईयों में होती अविराम हलचल भला किसको बेचैन नहीं करती , परन्तु यह सब सत्य का अहसास देता हे। मंजिल का मिलना तो शायद सबको ख़ुशी देता होगा , इन्तजार में भी खुश होना सीखना चाहिए। समाधान सभी को नसीब नहीं होता है , यहाँ तो बस चलना होता हे , अविराम , निरंतर …।
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इंसान की विडम्बनाएं उसे सोचने की सही शक्ति नहीं दे पाती और वो कुछ भी पाने की कामनाये करता है। दुखी होता है , जलता हे और यदि वह कुछ पाकर भी अचानक ऐसा लगने लगता हे जैसे यह सब तो उसने चाह कर गलती कर दी , समय नष्ट किया। बस यही पर समझने की जरुरत हे की हमारे लक्ष्य कही लघु तो नहीं ? नहीं तो अपनी ऊर्जा का व्यर्थ होना निश्चित हे और अपने अस्तित्व की सार्थकता प्राप्त होना तो दूर उसे महसूस करना भी मुश्किल हो जायेगा।
---- अशोक मादरेचा
All these are thoughts and communication with oneself to explore and set balance in our life.....
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इंसान की विडम्बनाएं उसे सोचने की सही शक्ति नहीं दे पाती और वो कुछ भी पाने की कामनाये करता है। दुखी होता है , जलता हे और यदि वह कुछ पाकर भी अचानक ऐसा लगने लगता हे जैसे यह सब तो उसने चाह कर गलती कर दी , समय नष्ट किया। बस यही पर समझने की जरुरत हे की हमारे लक्ष्य कही लघु तो नहीं ? नहीं तो अपनी ऊर्जा का व्यर्थ होना निश्चित हे और अपने अस्तित्व की सार्थकता प्राप्त होना तो दूर उसे महसूस करना भी मुश्किल हो जायेगा।
---- अशोक मादरेचा
All these are thoughts and communication with oneself to explore and set balance in our life.....
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आकाश और जमीन मिलते नहीं फिर भी क्षितिज के अस्तित्व को माना जाता है। दिल की अतुल गहराईयों में होती अविराम हलचल भला किसको बेचैन नहीं करती ?
— Ashok Madrecha (@ashokmadrecha) April 21, 2014
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