Jun 20, 2018

समझदारी (Intelligence)



Hindi poem on reality of present life. it describes about our illusion, selfishness, ego, power, relationship and complexity of life



किसमें खुशी खोजते कुछ भी भान नहीं
अच्छे बुरे का कुछ ध्यान नहीं
आखिर समझदार जो हो गए है।

हर जगह खुदगर्जी का वर्तन
पसंद नहीं आते अच्छे परिवर्तन
आखिर समझदार जो हो गए है।

सिर्फ लेने में भरोसा, देने से कोसो दूर
तनाव और दुख में भी हंसने को मजबूर
आखिर समझदार जो हो गए है।

जमीन छोड़ दी, कुर्सियों के पीछे पड़ गए
चमक दमक में बचपन के दोस्त भूल गए
आखिर समझदार जो हो गए है।

सेहतमंद खाना छोड़ पिज्जों में उलझ गए
खुलकर हंसना छोड़ हम बहुत गम्भीर हो गए
आखिर समझदार जो हो गए है।

सहजता को मूर्खता कहते है
कुछ किताबें चाटकर गरुर पालते है
आखिर समझदार जो हो गए है।

अपनों के बीच भी परायों सा जीवन
हर जगह खुदगर्जी का वर्तन
आखिर समझदार जो हो गए है।

नकारते सच को मुखौटे पहनकर
अनसुना कर देते सच को सुनकर
आखिर समझदार जो हो गए है।

लगे है जोड़ने को पता नहीं कितना जोड़ेंगे
हम रिश्ते तोड़ देंगे पर जिद नहीं छोड़ेंगे
आखिर समझदार जो हो गए है।

-- अशोक मादरेचा

No comments:

Post a Comment

Efforts कोशिश

बेशकीमती वक्त को मत जाया कर हासिल होगी मंजिल बस तू कोशिश तो कर ...। निकल बाहर हर भ्रम से रोज घूमता इधर उधर थोड़ा संभल और चलने की बस तू कोशिश...