मन और चेतन का विश्लेषण
Mind and Spirit Analysis
हमे मन और चेतन का अनुभव शरीर के द्वारा होता है। यदि आप थोड़ा सूक्ष्म विश्लेषण करे तो देखेंगे कि हम हर वक्त विचारों, क्रियाओं या प्रतिक्रियाओं के इर्द गिर्द ही घूमते रहते है। और ये सब किसी विश्वास, भय, अपेक्षा, अहंकार या इच्छा विशेष के कारण होता है।
मन और चेतन को समझना बहुत आवश्यक है। मन हमारे शरीर में सोचने और कल्पना करने की असीमित ऊर्जा का स्त्रोत्र है जबकि चेतन इसको संचालित करने के साथ हमेशा अच्छे और बुरे में फ़र्क करने का विवेक भी प्रदान करता है। मन की प्रबलता अनचाहे आवरण का निर्माण कर देती है जिससे हमारे विवेक या प्रज्ञा अवरुद्ध हो जाते है और शरीर उनका संकेत मिलने पर भी उपेक्षा करना शुरू कर देता है। चेतन प्राण है और मन साधन है , चेतन अपनी अभिव्यक्ति शरीर और मन के संयोग से करता है।
मन और चेतन 💥
मन या चेतन यदि एक दूसरे से द्वंद्व करते है तो वह व्यक्ति निश्चित रूप से तनाव या अवसादग्रस्त रहेगा। इसके विपरीत यदि इन दोनों में पूरा तालमेल है तो उस व्यक्ति को सुख ढूंढने की जरूरत ही नहीं पड़ती है। प्रश्न यह उठता है कि ये कैसे संभव हो सकता है। इसका उत्तर है कि ये सब एक दिन में नहीं परन्तु सतत अभ्यास से संभव हो सकता है। किसी भी वस्तु या विचार को उसके मूल स्वरूप में जानने का सतत प्रयास इस संतुलन के करीब ले जाता है। यदि किसी भी निर्णय में मन के साथ चेतन की साक्षी भी है तो वैसे निर्णय बहुत अचूक होते है। ऐसा संयोग प्रतिकूल परिस्थतियों में भी समय को अनुकूल बना देता है।मन और चेतन, दोनों में असीम संभावनाएं और अथाह शक्ति है। इनके समायोजन का पुरुषार्थ तो करना ही चाहिए। जो भाग्यशाली इस मर्म को समय पर समझ लेते है वे सचमुच जीवन को सफल बना लेते है।