Dec 26, 2021

दिशाबोध

 


समय के शिलालेख पर
स्पष्ट लिखा है
हर सफल मनुज में
मुझे तो पुरुषार्थ दिखा है।

कुछ सब्जबागों से जो
विचलित हुए बीच राहों में
गिरते गए वो
समय की निगाहों में।

दिखेगा परिवर्तन
अब भी जो अगर ठान लो
शब्द मेरे है,
कुछ तो मान लो।

हठधर्मिता छोड़कर,
ह्रदय को उदार करो
बहुत किया छलावा
अब मन से प्यार करो।

..... Ashok Madrecha

Apr 28, 2021

ये दौर भी जीतेंगे (Will Win This Time Too)




जीवन की क्षणभंगुरता

फिर सामने है, निर्दयता से,
क्या बड़े, क्या छोटे
बचा नही कोई देश
हर तरफ है हाहाकार

चुनौती भरे वक्त में
लगा है इंसान बेबस होकर
जीवन बचाने को
सब कुछ करने को तैयार।

अब दूरियां जरूरी हो गई
और नजदीकियां नाजायज
हर सांस पर पहरे लगे,और
ठहर सा गया, हर व्यापार।

अठखेलियों के दिनों में
बचपन, मुखोटों के अधीन
चुभते है, उनकी आंखों के प्रश्न
छिन गए, मासूम बच्चों के अधिकार।


ये दौर भी जीतेंगे, बेहतरी से,
प्रयत्न जारी है, बड़ी तैयारी है
उम्मीद रखे, है निशाने पे विषाणु
पार्थ का धनुष करता है टंकार।


Mar 21, 2021

बदलता विश्व, बदलते समीकरण (Changing World, Changing Equations)


उद्वेलित विश्व में फिर शीत युद्ध की आहट
बदलते शक्ति संतुलन, और नई चौधराहट।

मुट्ठी भर लोगों में बट गया संसार
बाकी सब आगे पीछे करते तकरार।

रोज दोस्त बदलते है आजकल
सब कुटिल राजनीति के फल।

महत्वाकांक्षाएं नए आकार में
सिकुड़ती न्याय व्यवस्था प्रतिकार में।

नेतृत्व विश्व में या तो मजबूर है
या फिर सत्य से ही दूर है।

व्यक्ति पालता आशाएं
कानून बदलता परिभाषाएं।

संगठन स्वयं शोषण का जरिया हो गए
झरने शेखी बघारते खुद ही दरिया हो गए।

भूमिकाएं भागती है जिम्मेदारी से
छूटती उम्मीदें अब वफादारी से।

कुछ बारूद बढ़ा कर आंख दिखाते
देशों के समूह द्वेष बढ़ाते।

निरीह मानवता पूरी मौन है
अब आवाज उठाने वाला भी कौन है।

#WorldPoetryDay2021 #UNO

- Ashok Madrecha

Efforts कोशिश

बेशकीमती वक्त को मत जाया कर हासिल होगी मंजिल बस तू कोशिश तो कर ...। निकल बाहर हर भ्रम से रोज घूमता इधर उधर थोड़ा संभल और चलने की बस तू कोशिश...