अरसे से बुला रहा हूँ तो जवाब भी नहीं देते
जरुरत चीज बड़ी, कहते है उड़ कर आ जाओ।
में गाफिल कहाँ था, वक़्त कमजोर था मेरा
जिसने सताया था, वो तो दोस्त था मेरा।
तेरी कतारों में कोई मेरा हमशक्ल रहा होगा
में तो दिल में था तेरे, कमबख्त खामोशियां पाले।
बोलते थे बहुत, कभी ध्यान नहीं गया
अब चुप क्या हुए, कयामत आ गयी।
सलीक़े से मेरी सब खबर रखते हो
अब क्या क़त्ल करने का इरादा है।
रूबरू होकर नजर भी नहीं मिलाते
लोग देखते है, चलो कुछ गुफ्तगू कर ले।
फासले जमीं के नहीँ थे
जहाँ थे तुम, हम भी तो वहीँ थे।
मेरी अक्स पे नजर डाले, गुजर जाते लोग
मील का पत्थर जो ठहरा तेरी राहों का।
पाक रिश्तों की पनाहों में कुछ गलतियां भी हुई होगी
वर्ना मोहब्बतें यूँ आसानी से बदनाम नहीं होती।
रूठे थे दिन में, रातों को मना लेते
इतने पत्थरदिल सनम हम नहीं थे।
अच्छा हुआ कि तन्हाइयों ने साथ निभाया
काश उनको आप सौतन तो मान लेते।
कम हो गया होगा नूर, ज़मीर तो जिन्दा है
चाहो तो बदस्तूर आजमा कर देख लो।
अल्फाझ तो मेरे हलक में अटके थे
लोग कहते रहे, पगला गया ये सख़्श।
गिले शिकवे तो अपने दरम्यां थे अशोक
नादान, नुरे इश्क का कसूर क्या था।
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