28 अप्रैल 2018

पीछा करता सत्य (Chasing Truth)


जिन्हें समय दिया जिंदगी भर
वो कहते है उन्हें फुरसत नहीं ।

व्यस्त है या बनाते बहाने
जरूर कुछ, गलतियां तो हुई ।

नए मित्रों के संग, नए नए प्रसंग
परिस्थितियां आज, बदल गई ।

जवानी है, ऊर्जा भी चरम पर
दृष्टि शायद कुछ बदल गई ।

अहसास कराने, कुछ भी कर लो
नावों की पतवारें तो फट गई ।

सब कुछ गतिमान अमर्यादित सा
शर्मो हया भी तो मिट गई ।

कुछ अनहोनी का अंदेशा हर किसी को
मानवता की तो नींव हिल गई ।

बेशुमार दौलत की उपलब्धियां
पर सेहत उनकी लील गई ।

सबके सब सपनों के सौदागर
सच्चाई अंदर ही अंदर घुट गई ।

बतियाना तो दूर, वो रुकते भी नहीं
कैसे बताऊं उनकी गाड़ी तो छूट गई ।

----- Ashok Madrecha





सुविचार अपने अतीत में जाकर अस्तित्व खोजना सिर्फ दुख को ही आमंत्रित करेगा।  स्वयं के बजाय दूसरों में, एकांत के बजाय भीड़ में, खुद के अनुभव के...