23 सित॰ 2014

सच्चाई


ख़ुशी की खोज बाहर करना
फिर पुरानी गलती दोहराना
सुख शांति के दो पल पाने की
अभिलाषा बस कुछ कर जाने की
कोशिश करना व्यर्थ नहीं होता
प्रयत्नों से कौन समर्थ नहीं होता
ले नहीं पाते जिंदगी उतना देती हे
ज़माने का दोष नहीं, कर्मो की खेती हे
कई बार साफ़ दिखता भी हे
पर समझ कम पड़ जाती हे
दिग्भ्रमित से मंजिलो की तलाश में
कुछ मिलेगा हर वक़्त इसी आस में
स्वयं की व्यवस्था में लगे दिन रात
झूठ के सहारे करते रहे हर बात।
जब सच्चाई सामने प्रकट होगी
स्थिति स्वयं बड़ी विकट होगी
दर्पण से सामना नहीं कर पाओगे
अपना चेहरा खुद ही छुपाओगे
समय को कौन रोक पाता हे
ये तो बस बीतता जाता हे
ये तो बस बीतता जाता हे.…।

8 सित॰ 2014

घर और इंसान



हमने ठिकाने बना लिए और
उनको मकानों का दर्जा भी दिया
काश घर बनाये होते
बेशक इतना कर्जा भी लिया।
हर दीवार चमकीली हे
सजा दिया बहुत सुन्दर तरीके से
गरूर का सामान बना दिया
क्या सकून भी लाये कुछ सलीके से।
सब सामान की जगह बना दी
हर कोने को भर दिया
आ जाते बूढ़े माँ बाप साथ रहने को
लगता कुछ तो अच्छा कर दिया।
हम आग से खेलते हे
पानी में बहते हुए
जिंदगी गुजार लेते हे
अजनबी से रहते हुए।
दौरे खुदगर्जी के तूफान में
इल्म रास नहीं आएगा
चलते रहना , गिरना मत
वर्ना कोई पास नहीं आएगा।
मकान तो बहुत हे कहने को
घर कहाँ मिलते हे
शरीर बहुत हे चलते फिरते
पर साथ चलने को इंसान कहाँ मिलते हे ।

प्रयास (Efforts)

जब सब कुछ रुका हुआ हो तुम पहल करना निसंकोच, प्रयास करके खुद को सफल करना। ये मोड़ जिंदगी में तुम्हें स्थापित करेंगे और, संभव है कि तुम देव तु...