A Hindi Poem on a situation of an experienced person guiding his kin about truth of life ...
मेरी लघुता को मजबूरी मत समझो
आप जीतते रहो, उसकी व्यवस्था है ये।हम तो उस दिन जीतेंगे जब लोग कहेंगे
आप जीत गए हो अपने प्रयत्नों से।
रास्तों के कंकरों से दोस्ती है मेरी
ताकि वो कभी चुभे नही आपको।
गति तेज है, जरा सम्भलकर चलना
अभी तो दूर तक जाना है आपको।
मेरी कलम पर एतराज मत करो
इतिहास लिखना तो बाकी है अभी।
शंका के बादलों में छुप के मत रहो
जो कहना है, दिल खोल कर कहो।
फैसला तो होठों तक आ चुका हाकिम के
मजबूर वो आज तक, गवाहों के इंतजार में है।
हम चलते है जमीन पे आपका ख्याल कर
वरना उड़ना तो हमें भी खूब आता है।
विश्वास की बुनियाद पर घर बनते है
अन्यथा महलों को भी कौन पूछता है।
मेरे आंगन के फूलों में कोई फूल ऐसा महके
लोग बुलाए उस फूल को, विश्व धरोहर कहके।
विचार लो और कर्तत्व को महत्व दो
अविचल बनो ओर सत्य को सत्व दो।
ऊंच नीच के फेर में आज भी यथार्थ का स्थान है
झूठ कितना भी पाल लो, सत्य ही महान है, सत्य ही महान है।