शेर शायरियाँ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
शेर शायरियाँ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

29 जुल॰ 2014

सरहदों के मजबूर परिंदे
















जिन्हें मार दिया बेरहमी से आपने
वो परिंदे तो पानी की तलाश में थे।
सरहदों को नहीं समझते वो तो
प्यास बुझाने की आस में थे।
इंसानों ने बाटा जमीं आसमान को
वो तो उड़ते भी पास पास में थे।
गिरे तुम्हारी गोलीयों से जमीं पर
कितने सवाल उनकी साँस में थे।
यूँ मौत का सामान बनेगा इन्सान
मंजर ये निशां हर एक लाश में थे।
जिन्हें मार दिया बेरहमी से आपने
वो परिंदे तो पानी की तलाश में थे......।

……… अशोक मादरेचा

27 मार्च 2014

शेर शायरिया

शेर शायरियाँ 


नजरे मिला कर भी छुपा लेते हो अक्श को
क्या ये गफलत हे या शरारत आपकी।
कहते नहीं कुछ भी शायद मौन अजीज हे
शिकवा तो नहीं करते पर ये सजा ज्यादा हे।
मेरी इन्तहा मत लो सहने को घाव काफी हे
छोड़ दो मेरे हाल पे, जान लो कि में भी बेसब्र हु।
मंजिल कुछ भी हो साथ चलने को साथी हो बस
सफ़र आसां होगा गर आप यु रूठो नहीं।
गलत भी समझो मुझे तो ये भी नसीब हे मेरा
कह तो सकेंगे , मेरे हमदम ने कहा ऐसा।
पैगाम उन्हें ना मिला पर हलचल तो हे
मालूम नहीं कौनसा गुल खिलने वाला हे।
खयालों के तूफां को बहुत झेला अकेले ही
दो पल ही सही कुछ तो बोलो मुस्करा कर।
वीराने में औस गिरी , पर अंगारो पर
चाँद को नहीं मालूम क्या गुजरी बहारो पर।
_______  अशोक मादरेचा

प्रयास (Efforts)

जब सब कुछ रुका हुआ हो तुम पहल करना निसंकोच, प्रयास करके खुद को सफल करना। ये मोड़ जिंदगी में तुम्हें स्थापित करेंगे और, संभव है कि तुम देव तु...