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Jun 20, 2014

प्रकृति और अहसास (Nature and Feelings)

 एक अनोखी आभा सी
जब हर्दय ने महसूस की भीतर से
रश्मियों के पुंज का प्रकाश
फैला सब दिशाओं में
छट गया युगों का अँधेरा
बस कुछ ही पलों में
नव चैतन्य और श्रंगार से
सुसज्जित हुआ आकाश
चाँद भी लज्जित हुआ
सौंदर्य के प्रतिबोध से
सितारे अठखेलियां करने लगे नभ में
ओस की शीतलता ठहर गयी
कोपलों पे आकर तो
ह्रदय को नृत्य करते देखा पहली बार
नयनों से अमृत बरसने लगा बरबस ही
साक्षात सूर्य की लालिमा को आते हुए
और भोर को अंगड़ाई लेते देखा
प्रकृति की विराटता का आनंद बोध कहूँ इसे
या सचमुच का ईश दर्शन
पुलकित हो गए रोम रोम
पर  समकित होना बाकी है
मालूम नहीं , शायद यही शुरुआत हो ……....

Jan 14, 2014

प्रकृती की सुंदरता का अहसास


प्रकृती के बिखरे ख़जाने को निहारते रहे
निरन्तर , बस बरबस से……
हरी चादर सि ओढ़ा दी , दूर तक वादियो में
सुदूर तक बर्फ की सफेदी और भोर की धूप
उमड़ते सैलानी , घाटी कि ओर पुरे मन से ....
निखरती छटाएँ , उमड़ती घटाएँ
नीले अम्बर से धरा तक फैले सौंदर्य के
अदभुत से नज़ारे , सचमुच द्रश्य नयनाभिराम
हर अवयक्त को उन्मुक्त करके व्यक्त करता
वातायन का सुन्दर सा विधान

नूतन प्रभास Light of life

  प्रखर प्रहारों को झेलकर जो तपकर कंचन बन जाते, अभावों में भी, नमन करता संसार उन्हें परिष्कृत रहते, जो भावों में भी ...। इंद्रधनुषी रंगो का ...