23 दिस॰ 2015

इजहार



तूफानो में भी हर सफ़र आसान है
सिर्फ तेरी पनाहों का अहसान है।
उन लम्हों को क्या पता
मेरी तेरी वो गुफ़्तगु और खता।
सिमट के पहलु में छुप जाना
बातों बातों में वो खिलखिलाना।
वेसे भी ये सब करिश्मों से कम नहीं
साथ हो हरदम, अब कोई गम नहीं।
आँखों में स्नेहिल समर्पण के भाव
तपती धूप में जैसे बरगद की छाँव।
दिन सिमट जाता रात के आग़ोश में
फिर राते भी कहा रहती है होश में।
सब कुछ शब्दों में कहना मुश्किल है
बस आप हो, मै हूँ, और ये मेरा दिल है.......।

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